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यह नस्ल गर्म प्रदेशों में आसानी से रह सकती है और ठंड का भी इस पर असर नहीं होता.
थारपारकर गाय प्रतिदिन लगभग 10 से 15 लीटर दूध देने में सक्षम होती है.
यह गाय अपने जीवनकाल में लगभग 15 बार बछड़े को जन्म देती है, जो इसे आर्थिक रूप से बेहद उपयोगी बनाता है.
एक ब्यांत में यह गाय करीब 1400 से 1600 लीटर तक दूध दे सकती है.
यह नस्ल मूल रूप से कर्नाटक से जुड़ी हुई है. लेकिन अब देश के कई हिस्सों में इसे पाला जा रहा है.
थारपारकर गाय का शरीर मजबूत होता है, जिससे बीमारियों का असर कम होता है.
देखभाल में आसान और स्थानीय जलवायु के अनुकूल होने के कारण यह नस्ल डेयरी के लिए बेस्ट है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.