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पशु को शांत वातावरण दें. कम शोर, साफ-सफाई और आरामदायक जगह से उनका मूड सुधरता है और दूध बढ़ता है.
खुश और सुकून में रहने वाले पशु का शरीर संतुलित रहता है, जिससे दूध का बहाव बेहतर होता है.
शाम को जब पशु का भोजन पच चुका होता है, तो पोषण थनों तक पहुंचता है और इस समय दूध की मात्रा अधिक होती है.
रोज एक तय समय पर दूध निकालें. कभी जल्दी या कभी देर से दुहने से थनों में पूरा दूध नहीं भरता और उत्पादन घटता है.
रातभर की नींद के बाद सुबह का दूध गुणवत्ता में सबसे अच्छा होता है.
लगातार खड़ा रहने या शोरगुल वाले माहौल से पशु बेचैन हो जाते हैं. पर्याप्त आराम दूध की मात्रा को बढ़ाने में मदद करता है.
सिर्फ दवाओं या इंजेक्शन से दूध नहीं बढ़ता, असली असर तब दिखता है जब पशु तनावमुक्त रहते हैं.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.