उत्तर प्रदेश में पहली बार बकरियों के लिए कृत्रिम गर्भाधान सुविधा शुरू की गई है. इससे उन्नत नस्ल की बकरियां तैयार होंगी, जो ज्यादा दूध, बेहतर वजन और अधिक आय देंगी. सरकारी अस्पतालों में बने AI सेंटर पर यह सेवा निशुल्क मिलेगी. इस पहल से बकरी पालन और ग्रामीण अर्थव्यवस्था दोनों मजबूत होंगी.
भैंस पालन आज किसानों के लिए मुनाफे का बड़ा जरिया बन चुका है. मुर्रा और जाफराबादी दोनों उन्नत नस्लें हैं. मुर्रा आसानी से पाली जाती है, जबकि जाफराबादी आकार में बड़ी और मजबूत होती है. दूध उत्पादन और देखभाल में दोनों श्रेष्ठ हैं. किसान अपनी जरूरत और बजट के अनुसार सही नस्ल चुन सकते हैं.
कृषि मंत्रालय के अनुसार इस साल अब तक 479.02 लाख हेक्टेयर भूमि पर रबी फसलों की बुवाई हो चुकी है. यह संख्या पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 6.2 प्रतिशत अधिक है. सामान्य रूप से रबी सीजन में जितनी भूमि पर बुवाई होती है, उसका लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा इस समय तक कवर किया जा चुका है.