जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. डॉ. वी.एस. जैतावत ने कहा कि तकनीक से लैस नई मशीन किसानों के लिए ‘सपने के सच होने’ जैसा है. उन्होंने बताया कि सोजत की मेहंदी विश्व पटल पर अपनी अलग पहचान रखती है, ऐसे में किसानों की समस्याओं का समाधान विश्वविद्यालय की प्राथमिक जिम्मेदारी थी.
गांवों में किसान अब मोरिंगा यानी सहजन को पोल्ट्री के साथ जोड़कर दोहरी कमाई कर रहे हैं. यह मॉडल चारे का खर्च घटाता है और मुर्गियों की सेहत भी बेहतर बनाता है. मोरिंगा की पत्तियां चारे के रूप में काम आती हैं और इसके फल-बीज बेचकर अलग से आय होती है, जिससे मुनाफा तेजी से बढ़ता है.
Clove Farming : लौंग का पौधा एक बार लगाने पर कई सालों तक लगातार उत्पादन देता है. गर्म और नम जलवायु में यह फसल तेजी से बढ़ती है और कम पानी में भी तैयार हो जाती है. इसकी सूखी कलियों की बाजार में अच्छी कीमत मिलती है, इसलिए किसान इसे टिकाऊ और लंबी अवधि की कमाई का अच्छा विकल्प मान रहे हैं.