खास बात यह है कि गेहूं बुवाई के 20 से 25 दिन बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए. खरपतवार नियंत्रण के लिए बुवाई से पहले ग्लाइफोसेट (1.0 फीसदी घोल) का छिड़काव करना फायदेमंद होता है. रोग और कीट नियंत्रण के लिए रस्ट, ब्लाइट और एफिड्स पर नियमित निगरानी रखें ताकि फसल को नुकसान न हो.
                            कृषि कार्यों के साथ ही मिट्टी की खुदाई, पेड़ों की जड़ों के उखाड़ने के साथ ही कई तरह के काम के लिए एक खास मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह मशीन कम समय में बेहतर गुणवत्ता से काम करने में सक्षम है, जिसकी वजह से इसका इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है.
                            
                            
                            
                            
                            हीरामणि नामक यह घास अगर पशुपालक गाय-भैंस को खिला दें तो एक हफ्ते में कम से कम 10-15 परेंसट तक दूध बढ़ाया जा सकता है. अगर आप भी पशुपालक हैं या फिर पशुपालन रुचि रखते हैं तो आपको इस घास के विषय में जरुर जानना चाहिए, ताकि दूध उत्पादन में वृद्धि हो सके.
                            भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के दलहन अनुसंधान संस्थान ने दलहनडर्मा को विकसित किया है. दलहनडर्मा किसानों के लिए एक कम लागत, पर्यावरण अनुकूल और ज्यादा पैदावार देने वाला वाला समाधान है. रबी सीजन में चना समेत अन्य दलहन फसलों की खेती करने वाले किसानों के लिए यह बेहतर विकल्प बना है.