भारतीय किसानों के लिए अहम यह है कि उनके पास अब फसल के दामों के लिए विकल्प बढ़ रहे हैं. इन विकल्पों के बढ़ने से उनका जीवन स्तर में लगातार सुधार तय है. इस सुधार के साथ गांवों का सुधार तय है. गांवों के सुधार के साथ पलायन से जुड़ी समस्या का समाधान नजर आता है. इथेनॉल प्रोग्राम रिसर्च और डेवलपमेंट में निवेश में सहयोग दे रहा है, जिससे उच्च उत्पादकता वाली वेराइटी विकसित करने में मदद मिल रही है.
कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार गेहूं, कनक और धान किसानों से खरीदती है और खरीदती रहेगी. उन्होंने कहा कि मसूर दाल, उड़द और चना की पूरी उपज MSP पर खरीदी जाएगी. किसान निश्चिंत रहें उनके एक-एक दाने को सरकार खरीदेगी.
लगातार बढ़ती लागत, कच्चे माल की सीमित उपलब्धता और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा ने पोल्ट्री उद्योग पर भारी दबाव डाल दिया है. भारत का यह 3 लाख करोड़ रुपये का उद्योग करोड़ों लोगों के भोजन और लाखों परिवारों की रोजी-रोटी से जुड़ा है.
मौसम वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि दक्षिण भारत का बारिश पैटर्न इसी तरह अस्थिर रहा, तो आने वाले वर्षों में काली मिर्च का उत्पादन और गिर सकता है. इस फसल को संतुलित मौसम चाहिए, लेकिन जलवायु परिवर्तन इसकी सबसे बड़ी चुनौती बनता जा रहा है.