पहले जहां कटाई पूरी तरह मजदूरों पर निर्भर रहती थी, आज हार्वेस्टर मशीनें किसानों के बहुत काम आ रही हैं. ये मशीनें केवल फसल काटती ही नहीं, बल्कि मड़ाई और सफाई भी साथ-साथ कर देती हैं. इससे मेहनत भी कम होती है और फसल का नुकसान भी बहुत कम होता है.
कई विशेषज्ञों का कहना है कि पशुओं के पेट, आंत और खून में रहने वाले परजीवी उनके शरीर से लगातार पोषक तत्व चूसते रहते हैं. यह प्रक्रिया इतनी धीमी होती है कि किसान अक्सर समय पर समझ नहीं पाते. परजीवी आंखों से नहीं दिखते, लेकिन उनके प्रभाव बहुत गहरे होते हैं.
अब तक लागू ‘तीन साल की अस्थायी मंजूरी’ प्रणाली को खत्म कर सरकार नैनो-फर्टिलाइजर को स्थायी मंजूरी देने की योजना बना रही है. इसका सीधा फायदा कंपनियों और किसानों दोनों को मिलेगा—न सिर्फ बिजनेस आसान होगा, बल्कि उर्वरकों की उपलब्धता और गुणवत्ता को लेकर भी स्थिरता आएगी.