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इस नस्ल को दूध उत्पादन और ताकत के लिहाज से विकसित किया गया है, जिससे यह डेयरी और कृषि दोनों कार्यों में उपयोगी साबित होती है.
अमृत महल गायें आमतौर पर 50 महीने में पहली बार बियान देती हैं, जो अन्य नस्लों की तुलना में थोड़ा देर से होती है.
एक बार बियाने पर यह नस्ल लगभग 550 से 600 लीटर तक दूध देती है, जो छोटे किसानों के लिए काफी लाभकारी होता है.
इस गाय की बनावट सुडौल होती है और इसका शरीर मजबूत और संतुलित होता है, जिससे यह कामकाजी नस्ल में भी गिनी जाती है.
अमृत महल गायें सफेद, काले और स्लेटी रंगों में पाई जाती हैं, जिनके कान सीधे और बाहर की ओर निकले होते हैं.
कुछ अमृत महल गायों के चेहरे पर हल्के भूरे और सफेद रंग के सुंदर निशान होते हैं, जो इन्हें एक अलग पहचान देते हैं.
यह नस्ल गर्म और कठिन मौसम को भी आसानी से सहन कर लेती है. यह दक्षिण भारत के किसानों के लिए फायदेमंद हो सकती है
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.