शोभाराम बताते हैं कि 10 अक्टूबर तक हर हाल में धान की फसल की कटाई हो जाएगी और गेदें की फसल भी तैयार हो जाएगी. वह कहते हैं कि उनकी खेती में आने वाली लागत कम हुई है और कमाई 3 गुना ज्यादा.
विश्वविद्यालय के कुलपति ने बताया कि इस तकनीक के इस्तेमाल के लिए उन्हें भारत सरकार की एक परियोजना के तहत 36 लाख रुपये दिए गए थे. उन्होंने बताया कि साल 2023 मे भारत सरकार द्वारा इस प्लास्टिक को पेटेंट मिल चुका है