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इस गाय का नाम यूरोप के जर्सी द्वीप पर रखा गया है. भारत में यह विदेशी नस्ल होने के बावजूद काफी लोकप्रिय है.
यह गाय गर्मी में जल्दी थक जाती है, इसलिए इसे ठंडी और छायादार जगहों पर रखना ज्यादा फायदेमंद होता है. तेज गर्मी में इसका दूध उत्पादन घट सकता है.
एक साल में जर्सी गाय औसतन 4000 से 5000 लीटर दूध देती है. ऐसे में यह किसानों और डेयरी व्यवसायियों के लिए बेहद फायदेमंद होती है.
फलीदार चारा देने से पहले उसमें सूखी तूड़ी या भूसा जरूर मिलाएं, जिससे गाय को गैस या अपच की दिक्कत न हो.
इस नस्ल की गायों को अगर साफ हवा और पानी वाली जगह मिले, तो यह बीमारियों से दूर रहती हैं और दूध भी ज्यादा देती हैं.
स्वस्थ गाय ही ज्यादा दूध देती है, इसलिए उन्हें समय-समय पर वैक्सीन देना और शरीर पर मक्खी-कीड़े न लगने देना जरूरी है.
गाय को पर्याप्त साफ पानी और रोज एक ही समय पर दूध दोहना जरूरी है, इससे उसकी उत्पादन क्षमता स्थिर रहती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.