बारिश में जानवरों को भीगने से बचाएं. यदि वे गीले हो जाएं तो तुरंत पोंछें, वरना स्किन इंफेक्शन हो सकता है.

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गीली मिट्टी उनके पंजों में चिपक जाती है, जिससे इंफेक्शन का खतरा बढ़ता है. बाहर से आने पर उनके पंजे जरूर साफ करें.

बारिश में नमी वाला चारा पेट खराब कर सकता है. सूखा और संतुलित चारा देना जानवरों के लिए ज्यादा सुरक्षित होता है.

अधिक हरा चारा बारिश में अपच और दस्त की समस्या पैदा कर सकता है. मात्रा सीमित रखें और सुखाकर ही दें.

हर तीन महीने में कृमिनाशक दवा देना न भूलें, ताकि आंतों में पनपने वाले कीड़ों से उन्हें बचाया जा सके.

दुधारू पशुओं को ‘खुरहा-चपका’ जैसी बीमारियों से बचाने के लिए मौसम की शुरुआत में ही टीकाकरण कराएं.

बारिश में घास में पोषण की कमी रहती है. ऐसे में मिनरल मिक्सचर देने से शरीर की पोषण संबंधी जरूरतें पूरी होती हैं.

जानवरों के ठहरने की जगह सूखी, हवादार और कीचड़ रहित होनी चाहिए. इससे उन्हें बीमारियों से बचाया जा सकता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी केवल सामान्य ज्ञान पर आधारित है.

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