बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) के वैज्ञानिकों ने एक बायोएक्टिव गोंद तैयार किया है, जो बिना सर्जरी के टूटी हुई हड्डियों को जोड़ सकता है. यह तकनीक इलाज को सस्ता, आसान और कम दर्दनाक बना सकती है.
बहुत से किसान यह मानकर चलते हैं कि जब तक ट्रैक्टर सही चल रहा है, तब तक उसकी सर्विस की जरूरत नहीं. लेकिन यह सोच ट्रैक्टर को धीमे-धीमे अंदर से खोखला कर देती है. हर 250 से 300 घंटे के उपयोग के बाद सर्विसिंग करवाना जरूरी होता है.
मुर्गी पालन ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का एक प्रमुख स्रोत बन चुका है. मुर्गी पालन के लिए विभिन्न नस्लें उपलब्ध हैं. इसके अलावा, सरकार मुर्गी पालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं और सब्सिडी प्रदान कर रही है.